Thursday, February 20, 2020

गीत विरोधाभास संजय कौशिक 'विज्ञात'





गीत 
विरोधाभास। 
संजय कौशिक 'विज्ञात' 

भरे समंदर गहरे जा कर 
मोती  बीन लिये।
पैरो से तो धरा छीन ली 
अंबर छीन लिये। 

1
बने हौसले टूट रहे हैं, 
कबका सूख गये। 
छत्ते ने मधु मक्खी निगली, 
हरियल रूख गये।
जुगनू से ले चमक आदमी, 
रूप मयूख गये।
कनक चबाये नव जीवन से, 
मारे भूख गये। 

दूध जहर पी साँप पालते
मरते दीन लिये।
भरे समंदर गहरे जा कर 
मोती  बीन लिये।

2
शब्द रसिक से खाते कविता, 
समझा सार रहे।
सागर से पर्वत को जाती, 
नदिया धार बहे। 
अर्थ अनर्थ किये गागर के, 
ज्ञानी हार कहे। 
श्रेष्ठ हुई ये उत्तम विदुषी 
बोली वार सहे।

छंद जड़ित फिर मधुर नमक के, 
बाजे बीन लिये।
भरे समंदर गहरे जा कर 
मोती  बीन लिये।

3
हुआ मधुर कुछ कडुवा सागर,
दिखता आज यहाँ।
पंगु चढ़े मन पर्वत सीढ़ी, 
गिरते देख कहाँ। 
दौड़ रहे तन मुर्दे लहरों, 
चारों और जहाँ। 
नेत्रहीन अब ज्योतिष दिखता,
कहते मूढ़ यहाँ। 

केत मृत्यु दे अमर कराता, 
घर जो मीन लिये।
भरे समंदर गहरे जा कर 
मोती  बीन लिये।

4
विरह वेदना व्याकुल मन की, 
भूली बात सभी।
शिशिर चांदनी शीतल जलती,
तम की घात तभी। 
तारे चमकें कहीं धरा पर,
खाली नभ वलभी।
शोधित होती मन की बाते, 
आये रास कभी।

सूरज चंदा विष-पय वर्षण, 
हो गमगीन लिये।
भरे समंदर गहरे जा कर 
मोती  बीन लिये।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

41 comments:

  1. शब्द रसिक से खाते कविता,
    समझा सार रहे।
    सागर से पर्वत को जाती,
    नदिया धार बहे। वाह अद्भुत लेखन 👌👌

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  2. गजब 👌,
    विरोधात्मक शैली में व्यंग्य परोसता गीत
    बहुत सुन्दर प्रयोग...

    लता सिन्हा ज्योतिर्मय

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  3. शब्द रसिक से खाते कविता,
    समझा सार रहे।
    श्रेष्ठ हुई ये उत्तम विदुषी
    बोली वार सहे।
    वाह आदरणीय अनुपम प्रस्तूति👌👌👌👏👏👏
    सुंदर छंद सृजन हुए विरोधाभास लिये
    लेखनी ने प्रतिदिन आपकी नव नव रुप लिये।

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  4. बहुत सुंदर छंद विरोधाभास के लिए आदरणीय बहुत बढ़िया

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  5. बहुत सुंदर अनुपम गीत
    आ.सर जी शुभकामनाएं 🙏🏻

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना सर। अनुपम सृजन।

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  7. वाह एक नया अंदाज ,उल्टी गंगा बहाने का

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  8. वाह गजब!!
    सचमुच सब विरोधाभास।
    बहुत शानदार सृजन।

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  9. बहुत गहरे भाव👌👌👌👌👌👌👌👌

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  10. विरोधाभास का इतना शानदार प्रयोग वो भी गीत में पहली बार पढ़ा ...लाजवाब सृजन 👌👌👌एक अनोखे उत्तम सृजन की बहुत बहुत बधाई आदरणीय 💐💐💐💐 सादर नमन 🙏🙏🙏

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  11. विरोधाभास में वर्णित विभिन्न प्रसंग एक श्रेष्ठ साहित्य साधक का परिचायक है जो इस रचना में परिलक्षित होता है।
    अशेष मंगलकामना।

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  12. उत्कृष्ट सृजन

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  13. अनुपम नवगीत बहुत गहरे भाव👌👌👌👌👌👌👌👌

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  14. व्यंगात्मक लहजे में अपनी बात करता बेहतरीन नवगीत ,, साधुवाद ।

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  15. अत्यंत सुंदर सृजन

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