Wednesday, February 5, 2020

नवगीत: व्यंजना बिखरी पड़ी हैं संजय कौशिक 'विज्ञात'

नवगीत: संजय कौशिक 'विज्ञात'

मुखड़ा/पूरक पंक्ति - 14/14 
अंतरा - 14/14

व्यंजना बिखरी पड़ी हैं,
स्वर रहित ये गीत, कैसा ? 

टूटती सरगम मधुर जब,
साँस को बिन ताल देखा।
आ रहा है याद फिर से,
वो लड़क पन ख्याल देखा।
आज टूटी खाट में वो,
ये समय का हाल देखा।

टूटता संगीत देखा,
सोचता ये मीत, कैसा ?
व्यंजना बिखरी पड़ी हैं,
स्वर रहित ये गीत, कैसा ? 

बिक चुका था पुष्प महँगा,
टूट कर निज डाल से भी।
जो महकता था हवा सा,
बेखबर था चाल से भी।
आज मुरझाया विमुख है,
थे परागी लाल से भी।

सोचता सब वे कहाँ पर,
रंग निखरा पीत, कैसा ?
व्यंजना बिखरी पड़ी हैं,
स्वर रहित ये गीत, कैसा ? 

वो भ्रमित गुंजित भ्रमर था,
गूंज कलियों ने सुनी थी।
बाग मोहित हो चुका था,
धुन अलग इसकी धुनी थी।
बांसुरी का स्वर बना वो,
जो कन्हैया ने चुनी थी।

बंद आँखें श्वास टूटी,
सोच कौशिक नीत, कैसा ?
व्यंजना बिखरी पड़ी हैं,
स्वर रहित ये गीत, कैसा ?

संजय कौशिक 'विज्ञात' 

@vigyatkikalam

42 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण नवगीत...बार बार पढ़ने का मन करे ऐसी सुंदर अभिव्यक्ति ...मन में उठते प्रश्नों को खूबसूरत शब्दों से सजाया है...बहुत बहुत बधाई आदरणीय शानदार सृजन की 💐💐💐💐

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    1. नीतू जी आत्मीय आभार
      बार बार पढ़ने का मन कह मन प्रफुल्लित हुआ सृजन साकार, पुनः आभार

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  2. बहुत सुंदर नवगीत बधाइयाँ। संजय कौशिक सर।

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  3. अत्युत्तम भावाभियक्ति 👌👌👌

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  4. अति उत्तम भावपूर्ण गीत

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    1. भाव आप तक पहुँचे आपका आत्मीय आभार अनिता सुधीर जी

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  5. बहुत सुन्दर सर जी

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    1. बोधन जी आप तो अपने प्रान्त के प्रसिद्ध गीतकार हैं, आपसे प्रशंसा पाकर सृजन सफल हुआ
      आत्मीय आभार आपका

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  6. उत्कृष्ट सृजन आपकी लेखनी को नमन आदरणीय ।

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    1. डॉ. मीता अग्रवाल जी आत्मीय आभार

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  7. अनुपम रचना... वाह...

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  8. बेहतरीन नवगीत आ.सर जी🙏🏻

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  9. वाह वाह क्या कहने बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय

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  10. बहुत बढ़िया गीत आदरणीय

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  11. Replies
    1. आपकी एक वाह से ही व्यंजना का सृजन सफल हुआ विश्वमोहन जी आत्मीय आभार

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  12. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण नवगीत

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  13. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (07-01-2020) को   "साथी कभी साथ ना छूटे"   (चर्चा अंक-3573)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी अपना स्नेह बनाये रखिये, आत्मीय आभार , चर्चा के लिए रचना के चयन की सूचना के लिए पुनः आत्मीय आभार

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  14. बहुत सुन्दर नवगीत । एक एक शब्द भाव बिखेरते हुए से । लयबद्ध पंक्तियाँ इस नवगीत की जान है । बधाई सुन्दर सृजन के लिए ।

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  15. बहुत सुन्दर गीत

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    1. जब एक बड़ा गीतकार ऐसा कहे तो मन प्रफ्फुलित होता है
      आत्मीय आभार

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  16. वाह...
    अति सुंदर गीत...🙏

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  17. गज्जज्जज्जज्जजब का सृजन बधाई हो

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    1. सब आपका ही आशीष है अग्रजा बहन जी

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  18. बहुत सुंदर सृजन...आदरणीय कौशिक जी बधाई हो।

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  19. अद्भुत नवगीत वाहः मन आनन्दित हो गया

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