*मनहरण घनाक्षरी*
*विषय: ठिठुरती ठण्ड*
दीन तन ढाँपता है, अंग-अंग काँपता है,
ठण्ड हद पार हुई, पारा तीन चार है।
रिजाई में छिद्र दिखें, मित्र हैं चूहे सरीखे,
रोता चीखे सारी रात, बहुत लाचार है॥
आधी रात सोया नहीं, युक्ति नहीं मिली कहीं,
सहता बेचारा ठण्ड, ऐसा रोजगार है।
पन्नी सारी जोड़ लाया, जिन्हें नहीं बेच पाया,
उनको ही आग देदी, ढूंढा उपचार है॥
*संजय कौशिक 'विज्ञात'*
बहुत ही खूबसूरत रचना...ठंड के प्रकोप और दीन दुखियों की मजबूरी का यथार्थ चित्रण 👌👌👌
ReplyDeleteनीतू ठाकुर जी आत्मीय आभार आपका, आपके सार्थक प्रयास और प्रेरणा से ही ये ब्लाग बन सका
Deleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना 🙏🌷
ReplyDeleteआत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteआपकी प्रेरणा से ही सब सम्भव हो पाया है
गरीबों की ठंड ऐसी होती है।
ReplyDeleteआदरणीय विश्व मोहन जी
Deleteआपसे ही प्रेरणा लेते हैं
बहुत शानदार रचना आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनंत जी
Deleteअच्छे प्रेरक हैं आप
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआभार सुधा सिंह जी
Deleteबहुत अच्छे प्रेरक रहे हैं आप
गज़ब कीत्ता 👌👌👌👌
ReplyDeleteगजब सच में तो आप हैं
Deleteगज़ब कीत्ता 👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ही शानदार ,गज़जब 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर आदरणीय । शानदार घनाक्षरी 🌷
ReplyDeleteप्रेरणा पुंज, प्रेरक स्रोत के केंद्र कलम से ही सुगंध सम्भव है
Deleteहृदय स्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteअप्रतिम सुंदर।
आत्मीय आभार
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअनुराधा चौहान जी, प्रेरणा आपसे बहुत मिली है, जो आज यहाँ उपस्थित हो सका, आत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत खूब..आदरणीय
ReplyDeleteमन लुभाती रचना...👌👌👌💐
प्रजापति कैलाश सुमा साहेब आत्मीय आभार
Deleteहास्य में वाह बढ़िया
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteअति सुन्दर आदरणीय सर जी। हार्दिक बधाई हो।
ReplyDeleteबोधन राम निषाद राज विनायक जी आत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत बढ़िया है आदरणीय.... यथार्थ को प्रदर्शित करती आपका कविता
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका तोषण कुमार जी
Deleteअति उत्तम
ReplyDeleteराधा तिवारी जी आत्मीय आभार आपका
Deleteशानदार रचना।
ReplyDeleteबधाई
पम्मी सिंह तृप्ति जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत खुब
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteसजा सरस समसामयिक बढ़िया रचना ।
ReplyDeleteडॉ. मीता अग्रवाल जी आत्मीय आभार
Deleteभाव पूर्ण प्रवाहमय घनाक्षरी! सादर बधाई आदरणीय विज्ञात जी।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर आपकी रचना आदरणीय और मार्मिक भी
Deleteबहुत सुंदर सृजन साथ ही सामयिक फोटॉग्राफ
Deleteसादर नमन
आत्मीय आभार राणा साहेब
Deleteआत्मीय आभार नवीन तिवारी साहेब
Deleteबहुत सुंदर रचना सर👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteवाह, सटीक अभिव्यक्ति एक गरीब की ठंड की
ReplyDeleteआत्मीय आभार अटल राम चतुर्वेदी जी
Deleteअद्भुत सृजन आदरणीय
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteसर मैंने आपका ब्लॉग पढा। वाह वाह बेहतरीन विज्ञात सहाब ।
ReplyDeleteएक गरीब की मनोदशा इस जानलेवा ठिठुरती ठंड में उसका अपना परिश्रम और निदान इस निष्ठुर ठंड से बचने के लिए। लेकिन इस बात पर कोई भी उसे शिकवा शिकायत नहीं यह सोचकर कि उससे भी अधिक दयनीय स्थिति में है कुछ लोग वो तो दुसरो से बेहतर है। वाह संजय कौशिक साहब बहुत उम्दा ।
प्रकाश कांबले
मैने ब्लॉग पर लिखने की कोशिश की मगर असफल रहा इसलिये यहां लिख रहा हूँ। अगर आप उसे ब्लॉग मे डाल सकते हैं तो जरूर डाल दिजीए। धन्यवाद।
आत्मीय आभार, प्रकाश काम्बले जी
Deleteबहुत ही सुन्दर आपकी रचना आदरणीय और बहुत मार्मिक भी
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Delete"पन्नी सारी जोड़ लाया, जिन्हें नहीं बेंच पाया"
ReplyDelete.........
हृदयस्पर्शी पंक्ति...
मानवीय संवेदना का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती सुंदर रचना के लिए बधाई...
आत्मीय आभार
Deleteशानदार रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अनिता सैनी जी
Deleteबहुत बढ़िया सृजन, बधाई आदरणीय
ReplyDeleteमहेंद्र कुमार बघेल जी आत्मीय आभार
Deleteबहुत ही उम्दा लेखन
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रासद जी
Deleteअति उत्तम समसामयिक सृजन।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-12-2019) को "भारत की जयकार" (चर्चा अंक-3566) पर भी होगी।--
ReplyDeleteचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक साहेब जी आत्मीय आभार
Deleteउत्कृष्ट घनाक्षरी आदरणीय !��
ReplyDeleteअनुपमा जी आत्मीय आभार आपका
Deleteआपकी ही प्रेरणा है
शानदार
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteशानदार
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteआत्मीय आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर रचना।
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका डॉ. सरला जी
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteयथार्थ से भरी कँपकँपाती अद्भुत चित्रण
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteवाह परिवेश का सुन्दर यथार्थ चित्रण
ReplyDeleteआत्मीय आभार आपका
Deleteवाह्ह बहुत सुंदर कृति सर 👌👌
ReplyDeleteवाह्ह बहुत सुंदर कृति सर 👌👌
ReplyDeleteसादर नमन
Deleteआत्मीय आभार
यथार्थ चित्रण
ReplyDeleteबहुत खूब
आत्मीय आभार आपका
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