Wednesday, January 29, 2020

ठिठुरती ठण्ड

*कलम की सुगंध*
*मनहरण घनाक्षरी*
*विषय: ठिठुरती ठण्ड* 

दीन तन ढाँपता है, अंग-अंग काँपता है,
ठण्ड हद पार हुई, पारा तीन चार है।

रिजाई में छिद्र दिखें, मित्र हैं चूहे सरीखे, 
रोता चीखे सारी रात, बहुत लाचार है॥

आधी रात सोया नहीं, युक्ति नहीं मिली कहीं,
सहता बेचारा ठण्ड, ऐसा रोजगार है।

पन्नी सारी जोड़ लाया, जिन्हें नहीं बेच पाया,
उनको ही आग देदी, ढूंढा उपचार है॥

*संजय कौशिक 'विज्ञात'*

86 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत रचना...ठंड के प्रकोप और दीन दुखियों की मजबूरी का यथार्थ चित्रण 👌👌👌

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    1. नीतू ठाकुर जी आत्मीय आभार आपका, आपके सार्थक प्रयास और प्रेरणा से ही ये ब्लाग बन सका

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  2. अति सुन्दर रचना

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना 🙏🌷

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    1. आत्मीय आभार अभिलाषा जी
      आपकी प्रेरणा से ही सब सम्भव हो पाया है

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  4. गरीबों की ठंड ऐसी होती है।

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    1. आदरणीय विश्व मोहन जी
      आपसे ही प्रेरणा लेते हैं

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  5. बहुत शानदार रचना आदरणीय

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    1. आत्मीय आभार अनंत जी
      अच्छे प्रेरक हैं आप

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    1. आभार सुधा सिंह जी
      बहुत अच्छे प्रेरक रहे हैं आप

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  7. बहुत ही शानदार ,गज़जब 👌👌👌

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  8. वाह बहुत सुन्दर आदरणीय । शानदार घनाक्षरी 🌷

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    1. प्रेरणा पुंज, प्रेरक स्रोत के केंद्र कलम से ही सुगंध सम्भव है

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  9. हृदय स्पर्शी सृजन ।
    अप्रतिम सुंदर।

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  10. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. अनुराधा चौहान जी, प्रेरणा आपसे बहुत मिली है, जो आज यहाँ उपस्थित हो सका, आत्मीय आभार आपका

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  11. बहुत खूब..आदरणीय

    मन लुभाती रचना...👌👌👌💐

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    1. प्रजापति कैलाश सुमा साहेब आत्मीय आभार

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  12. हास्य में वाह बढ़िया

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  13. अति सुन्दर आदरणीय सर जी। हार्दिक बधाई हो।

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    1. बोधन राम निषाद राज विनायक जी आत्मीय आभार आपका

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  14. बहुत बढ़िया है आदरणीय.... यथार्थ को प्रदर्शित करती आपका कविता

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    1. आत्मीय आभार आपका तोषण कुमार जी

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    1. राधा तिवारी जी आत्मीय आभार आपका

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  16. शानदार रचना।
    बधाई

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    1. पम्मी सिंह तृप्ति जी आत्मीय आभार

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  17. सजा सरस समसामयिक बढ़िया रचना ।

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    1. डॉ. मीता अग्रवाल जी आत्मीय आभार

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  18. भाव पूर्ण प्रवाहमय घनाक्षरी! सादर बधाई आदरणीय विज्ञात जी।

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    1. बहुत ही सुन्दर आपकी रचना आदरणीय और मार्मिक भी

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    2. बहुत सुंदर सृजन साथ ही सामयिक फोटॉग्राफ
      सादर नमन

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    3. आत्मीय आभार राणा साहेब

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    4. आत्मीय आभार नवीन तिवारी साहेब

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  19. बहुत सुंदर रचना सर👌👌

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  20. वाह, सटीक अभिव्यक्ति एक गरीब की ठंड की

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    1. आत्मीय आभार अटल राम चतुर्वेदी जी

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  21. अद्भुत सृजन आदरणीय

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  22. सर मैंने आपका ब्लॉग पढा। वाह वाह बेहतरीन विज्ञात सहाब ।
    एक गरीब की मनोदशा इस जानलेवा ठिठुरती ठंड में उसका अपना परिश्रम और निदान इस निष्ठुर ठंड से बचने के लिए। लेकिन इस बात पर कोई भी उसे शिकवा शिकायत नहीं यह सोचकर कि उससे भी अधिक दयनीय स्थिति में है कुछ लोग वो तो दुसरो से बेहतर है। वाह संजय कौशिक साहब बहुत उम्दा ।
    प्रकाश कांबले
    मैने ब्लॉग पर लिखने की कोशिश की मगर असफल रहा इसलिये यहां लिख रहा हूँ। अगर आप उसे ब्लॉग मे डाल सकते हैं तो जरूर डाल दिजीए। धन्यवाद।

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    1. आत्मीय आभार, प्रकाश काम्बले जी

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  23. बहुत ही सुन्दर आपकी रचना आदरणीय और बहुत मार्मिक भी

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  24. "पन्नी सारी जोड़ लाया, जिन्हें नहीं बेंच पाया"
    .........
    हृदयस्पर्शी पंक्ति...
    मानवीय संवेदना का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती सुंदर रचना के लिए बधाई...

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  25. बहुत बढ़िया सृजन, बधाई आदरणीय

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    1. महेंद्र कुमार बघेल जी आत्मीय आभार

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    1. आत्मीय आभार आपका कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रासद जी

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  27. अति उत्तम समसामयिक सृजन।

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  28. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-12-2019) को    "भारत की जयकार"     (चर्चा अंक-3566)  पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'


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    1. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक साहेब जी आत्मीय आभार

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  29. उत्कृष्ट घनाक्षरी आदरणीय !��

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    1. अनुपमा जी आत्मीय आभार आपका
      आपकी ही प्रेरणा है

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  30. Replies
    1. आत्मीय आभार आपका डॉ. सरला जी

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  31. यथार्थ से भरी कँपकँपाती अद्भुत चित्रण

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  32. वाह परिवेश का सुन्दर यथार्थ चित्रण

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  33. वाह्ह बहुत सुंदर कृति सर 👌👌

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  34. वाह्ह बहुत सुंदर कृति सर 👌👌

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