Monday, June 6, 2022

गीतिका : फिर विश्व गुरु बनें हम : संजय कौशिक विज्ञात


*गीतिका*
फिर विश्व गुरु बनें हम 
मापनी :-221 2121 1221 212

फिर विश्व गुरु बनें हम उपहार चाहिए।
गूँजे सभी दिशा अब जयकार चाहिए।।

प्रतिशत व शून्य खोज निराला हमें करे।
दें ज्ञान इस तरह नित अधिकार चाहिए।।

शिक्षा विधान से जन बनते महान हैं।
कोई मिले यहाँ पद आधार चाहिए।।

कुरुक्षेत्र ने सुनी वह गीता पुकारती।
लड़ युद्ध धर्म का बस हथियार चाहिए।।

घनघोर जिस तिमिर पर चलता प्रकाश है।
उस दीप का कभी फिर आभार चाहिए।।

उस श्याम सी घटा पर ज्यूँ मोर नाचता।
यूँ हर्षमय दिखे नित त्यौहार चाहिए।।

निरपेक्ष गुट बनाकर हम शांति दूत हैं।
कल्याण नीति से नित उद्धार चाहिए।।

वसुधैव पर कुटुम्ब व विज्ञात ढूँढते
होना यहीं कहीं पर अवतार चाहिए।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

10 comments:

  1. नमन गुरुदेव 🙏
    बहुत ही शानदार गीतिका 💐💐💐💐

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  2. प्रणाम गुरुदेव 🙏
    शानदार गीतिका 💐💐

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  3. बहुत सुंदर गीतिका। नमन गुरुदेव की लेखनी को।

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  4. बेहतरीन गीतिका आदरणीय।

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  5. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय गुरुदेव
    नमन 🙏💐

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  6. सादर प्रणाम गुरुदेव आपको शानदार बहुत ही सुन्दर आपकी यह गजल

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  7. उत्तम रचना 👌 गुरुदेव 🙏

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  8. अति सुंदर लेखनी गुरुवर सादर नमन

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  9. भारत भूमि की महत्ता को विश्व में कैसे अक्षुण्ण रखें ,के सुखद पहलू पर अप्रतिम सृजन।
    भावों को बहुत सुन्दरता से स्पष्ट करती सार्थक गीतिका।

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  10. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । आपको सादर नमन

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