Friday, December 17, 2021

नवगीत : पुस्तकों पर मौन पसरा : संजय कौशिक 'विज्ञात'



नवगीत 
पुस्तकों पर मौन पसरा
संजय कौशिक 'विज्ञात'

मापनी - 14/14 

पुस्तकों पर मौन पसरा
कर रहा इतिहास क्रंदन
सभ्यता संस्कृति बिलखती 
रक्त रंजित शिष्ट वंदन।।

शौर्य स्वर्णिम पूर्वजों का
कठपुतलियाँ बोलती हैं
भित्ति चित्रों का अमर रस
पुस्तकें पय घोलती हैं
पावनी गंगा नयन भर
मांगती है मोक्ष चंदन।।

बंद गत्ते पुस्तकों ने
ज्ञान अन्तस् तक उड़ेला 
पृष्ठ खुलकर नम्रता दे
पा सके सम्मान चेला
रूप विद्या स्पष्ट देकर 
यूँ बनाती श्रेष्ठ नंदन।।

कुछ कलंकित सी हवाएँ 
दे मुखौटा धूल जाती 
और एकाकी तड़पता 
कष्ट सब पुस्तक मिटाती
गीत स्मृति यूँ दौड़ आई
दे हृदय को तीव्र स्पंदन।।

#संजयकौशिक'विज्ञात'

6 comments:

  1. नमन गुरुदेव 🙏
    बहुत ही आकर्षक नवगीत 👌
    नूतन बिम्बों का प्रयोग बहुत ही प्रेरणादायक 💐💐💐

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  2. बहुत ही सुन्दर नवगीत गुरुदेव सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏

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  3. बहुत सुंदर रचना । नमन गुरुदेव को

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  4. सुंदर सारगर्भित नवगीत👌👌

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  5. पुस्तकों की महत्ता पर शब्द शक्ति से रचना सुंदर नवगीत।
    अप्रतिम।

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  6. बहुत ही सुंदर नवगीत ,नवल शब्दों से बनी नवगीत👌👌👌👌

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