रास छंद :
संजय कौशिक 'विज्ञात'
शिल्प विधान- रास छंद सम मात्रिक छंद है यह मापनी मुक्त छंद कहा जाता है। रास छंद 4 पँक्ति में लिखा जाता इसकी प्रत्येक पंक्ति में 22 मात्राएँ होती हैं। 8, 8, 6 पर यति का प्रयोग किया जाता है और पदांत 112 ही रखना चाहिए। क्रमागत प्रति दो पँक्ति में तुक बंदी मिलाई जाती है। मैं पूर्व में बता चुका हूँ यह मापनी मुक्त छंद है फिर भी उत्तम लय हेतु हम इस प्रकार की मापनी का प्रयोग कर सकते हैं
22 22, 22 22, 2112
22 22, 22 22, 2112
ध्यान रहे त्रिकल का प्रयोग (गाल, लगा के रूप में) उत्तम लय देता है। जिसे आप सरलता से पूर्व प्रदत्त अनेक छंद विषय पर भी लिख चुके हैं। आइये उदाहरण के माध्यम से समझते हैं-
नित्य सुगंधित, पाटल खिलते, मन खिलते।
उपवन चहके, प्रिय जन आकर, जब मिलते।।
आँखें भरती, रीत पुरानी, मिल रहते।
बातें करते, खुलकर हँसते, सब कहते।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'
रास छंद की बहुत सुन्दर जानकारी उदाहरण सहित आपने प्रदान की गुरूदेव जी । आभार आपका ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर छंद गुरू जी ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आदरणीय गुरुदेव
ReplyDeleteअति उत्तम जानकारी गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteनमन गुरु देव 🙏💐
बहुत बढ़िया रास छंद की जानकारी🙏🙏🙏
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDeleteरास छंद की ज्ञानवर्धक जानकारी और खूबसूरत उदाहरण 👌
हार्दिक आभार 🙏
हृदय को छू गई 👌👌
ReplyDeleteरास छंद की बहुत सुंदर जानकारी एवं उदाहरण आदरणीय, सादर नमन🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी गुरुदेव
ReplyDeleteनमस्कार आ.गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteरास छंद की बेहतरीन जानकारी 🙏🏻
रास छंद की उदाहरण सहित बहुत सुंदर जानकारी आदरणीय 🙏🏻
ReplyDeleteसर सादर नमन मै उस बालक के समान हूँ जिसे लिखना सिखाते समय अक्षर को बोलने का भी अभ्यास कराया जाता है
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ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव🙏
वाह बहुत सुंदर रास छंद और जानकारी 👌🙏