आल्हा /वीर छंद
संजय कौशिक 'विज्ञात'
आल्हा मात्रिक छंद सुहावन, वीर लिखें रस पावन काव्य।
गाल लगा से जोड़ त्रिकल को, श्रेष्ठ यही लय उत्तम श्राव्य।।
सौलह पंद्रह पर यति रखना, ऊँचे सुर में हो टंकार।
शेर दहाड़ भरे जंगल में, हाथी लुढकें एक हजार।।
अतिश्योक्ति अलंकार इस छंद का सौंदर्य निखारता है। मात्रा भार 16/15 रहेगा। विषम चरण में 16 मात्रा सम चरण में 15 मात्रा चार चरणों का यह छंद वीर रस में अत्याधिक प्रभावी माना जाता है। तुकांत सम चरण में मिलाया जाता है। इसकी सुंदर गेयता के लिए सुंदर और आकर्षक लय का होना बहुत आवश्यक होता है। जो जरा सी सावधानी से साधी जा सकती है।
*आल्हा छंद*
इसे आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहते हैं। कथ्य अधिकांशतः ओज भरे ही होते हैं।
वीर (आल्हा) छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति १६-१५ मात्रा पर नियत होती है।
*विषम चरण का अंत*-
गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघु लघु गुरु (।।ऽ) या गुरु लघु लघु (ऽ ।।) से करना अनिवार्य है
*सम चरण का अंत* -
गुरु लघु (ऽ।) से होना अनिवार्य है।
*वीरांगना अवंतीबाई*
मापनी 16/15
देख अवन्तीबाई रानी
अंग्रेजों का अत्याचार।
लाल नयन कर रण में कूदी
करती सौ-सौ नर संहार।।
1
राव जुझार सुता कहलाई
राजा लक्ष्मण का विश्वास।
काली जैसे युद्ध लड़े वो
ज्वाला फूंके मानो घास।।
कितनो की छाती बैठी थी
सुन रणचण्डी की ललकार ...
2
दो पुत्रों को जन्म दिया फिर
पुत्र प्रजा के माने लाख।
क्रूर बने उन अंग्रेजों को
फूंक किया पल भर में राख।।
शौर्य दिखा विद्युत सी चलती
काटे जाती सिर तलवार ...
3
देश स्वतंत्र कराने उतरी
रण का सागर माने धाक
बन पहली आंदोलनकारी
काटी सब रिपुओं की नाक
और हुतात्म हुई कुछ ऐसे
शांत सुनामी बंद प्रहार ...
संजय कौशिक विज्ञात
बहुत सुन्दर आल्हा छंद की रचना उदाहरण सहित । प्रणाम गुरूदेव । मुझे यह छंद बहुत पसंद है ।
ReplyDeleteआल्हा छंद की उदाहरण सहित बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌👌
ReplyDeleteवाह💐💐हृदयस्पर्शी💐💐🙏🙏
ReplyDeleteआल्हा छंद बहुत ही शानदार गुरुदेव बहुत बढ़ियाँ और वो भी उदाहरण के साथ🙏🙏🙏👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी आदरणीय
ReplyDeleteवीर रस में शानदार रचना👌
ReplyDeleteछंदबद्ध विधान भी बेहद आकर्षक 👌
महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हार्दिक आभार गुरुदेव 🙏
बहुत उपयोगी जानकारी आ.नमन आपकी लेखनी को।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अवंति बाई पर आधारित आल्हा छंद।
ReplyDeleteउत्तम छंद
ReplyDeleteउत्तम जानकारी
सादर नमन गुरुदेव
सुन्दर जानकारी आ.
ReplyDeleteबहुत ही उत्तम प्रस्तुति एवं व्याख्या ।सादर धन्यवाद।
ReplyDeleteप्रणाम
आल्हा छंद पर बहुत सुंदर सृजन आदरणीय👏👏👏छंद विधान उदाहरण सहित👏👏👏🙏सादर अभिनन्दन🙏🙏🙏
ReplyDeleteउत्तमोत्तम जानकारी विज्ञात जी
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