Wednesday, February 5, 2020

नवगीत षडयंत्रों का दौर ■◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆■

  

●नवगीत● 
■◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆■

*मुखड़ा/पूरक पंक्ति~16/14*
*अंतरा~16/14*

षड्यंत्रों का दौर चला है,
केवल व्यर्थ दिखावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।

1
देख तने की खोखर में भी,
पंछी-रैन बसेरा है।
तिमिर करे कुछ रौनक जिनमें,
उनका होता डेरा है।
यही काल की टिक टिक कहती,
समय-समय का फेरा है।
व्यर्थ फूलता मानव देखो,
करता जो मैं ! मेरा !! है।

अंतस् पीड़ा बाहर फूटे,
बहती बनकर लावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।

2
तपती धरती रेत तपी है,
तपिश कहाँ है कम बोलो,
मधुर शहद-सी मीठी वाणी,
अधरों से सरगम बोलो।
दावानल ज्यूँ क्रोध-अग्नि है,
भस्म खुशी, दे गम बोलो,
भटक रहा कस्तूरी मन यूँ,
हिरण बना है बम बोलो।

दृष्टि-पटल मिलने को आतुर,
करता बहुत छलावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।

3
उलट बहाव हवा का देखा,
चले नदी झरने ऐसे।
क्षीर सिंधु जब खड़ा दुग्ध बन,
लड़ते कुएँ कहो कैसे।
भांति-भांति की व्याप्त भ्रांतियाँ,
भ्रमित डगर थी कुछ जैसे।
तोड़ मिला कब इन बातों का,
सोच रहा है मन वैसे।

हिय की धड़कन ठहर करे फिर,
कुछ चलने का दावा जो।
लक्ष्य साधना है वो कैसी,
पाकर दे पछतावा जो।


संजय कौशिक 'विज्ञात'

@vigyatkikalam

65 comments:

  1. लाजवाब!! अप्रतिम रचना 👌👌

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  2. कमल किशोर दुबे
    वाह! समसामयिक परिस्थितियों पर मार्गदर्शन करती, लावणी छन्द में सृजित शानदार नवगीत।

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    1. आत्मीय आभार कमल किशोर दुबे जी

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  3. कमल किशोर दुबे
    वाह! समसामयिक परिस्थितियों पर मार्गदर्शन करती, लावणी छन्द में सृजित शानदार नवगीत।

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  4. देख तने की खोखर में भी
    पंछी-रैन बसेरा है
    तिमिर करे कुछ रौनक जिनमें
    उनका होता डेरा है
    यही काल की टिक टिक कहती
    समय-समय का फेरा है
    व्यर्थ फूलता मानव देखो
    करता जो मैं ! मेरा !! है

    बेहद सार्थक और समसामयिक समस्याओं का चित्रण करता हुआ नवगीत।मानव के भ्रम,अहंकार और अनीतियों का यथार्थ चित्रण, प्रतीकों का सुंदर प्रयोग (लड़ते कुएँ, हिरण
    बना बम आदि) अनुप्रास,उपमा आदि अलंकारों के साथ मुहावरों का सशक्त प्रयोग।शब्द-चयन अद्भुत।उत्कृष्ट रचना।
    नमन आपकी लेखनी को 🙏🌷

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  5. बेहतरीन और लाजवाब सृजन
    समसामयिक समस्याओं का चित्रण
    "अंतस् पीड़ा बाहर फूटे
    बहती बनकर लावा जो
    लक्ष्य साधना है वो कैसी
    पाकर दे पछतावा जो "
    ✍️👏👏👏

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  6. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय 👌👌👌
    निःशब्द करती लाजवाब अभिव्यक्ति ...बहुत बहुत बधाई इस शानदार सृजन की 💐💐💐💐

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  7. वाह बेहतरीन रचना आदरणीय!

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  8. बहुत सुन्दर भाव प्रधान रचना सर जी

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  9. अद्भुत भावों से सुसज्जित सुन्दर,समसामयिक नवगीत👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏

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  10. वाह सुंदर शब्दों से सुसज्जित आपकी रचना अति उत्तम है

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    1. आत्मीय आभार आपका राधेगोपाल जी

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  11. बहुत बढ़िया सर अति उत्तम सुन्दर शब्द संयोजन 👌👌👌

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  12. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय 👌👌👌

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  13. बहुत सुन्दर नव गीत..शब्दों का समुचित संयोजन👌
    ..लता सिन्हा ज्योतिर्मय

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  14. बहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है

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  15. कहीं प्रतीक कहीं स्पष्ट बिंब सुंदर उपमाएं उपदेशात्मकता छंद बहुत सुंदर अभिनव भाषा शैली ।
    अप्रतिम अभिराम।

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    1. आत्मीय आभार कुसुम कोठारी जी

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  16. बहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है

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  17. बहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है

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  18. "विज्ञात जी" की अवतरित इस रचना में सामाजिक परिदृश्य का अद्भुत मानवीकरण परिलक्षित होता है।
    *बधाई, बधाई, बधाई*

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  19. आपकी क़लम में तो मां शारदा उतर आई हैं,
    और बहुत सुंदर मैसेज दिया है आपने जीजू 😊 इस रचना के ज़रिए

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  20. बहुत ही बेहतरीन और यथार्थ भाव लिए हुए आदरणीय बहुत सुन्दर

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  21. भावपूर्ण बेहतरीन नवगीत आ.सर जी बधाई व शुभकामनाएं 🙏🏻

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  22. बहुत ही बेहतरीन रचना आदरणीय 👌👌💐

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  23. बहुत ही बेहतरीन रचना आदरणीय

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  24. बहुत ही सुन्दर और शिक्षाप्रद ।

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  25. बहुत सुन्दर ..अलौकिक रचना

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  26. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२० -०१-२०२० ) को "बेनाम रिश्ते "(चर्चा अंक -३५८६) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. सराहनीय ... सराहनीय ... आत्मीय आभार अनिता जी

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  27. बहुत ही सार्थक एवं सामायिक मुद्दों पर सुंदर नवगीत आपने लिखा.. भाषा शैली में आपकी कमाल के पकड़ है बहुत प्रभावित हुई आपकी इस रचना से धन्यवाद🙏🙏

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  28. अति सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको

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  29. बहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत है

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  30. बहुत सुंदर, उत्कृष्ट रचना

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  31. बहुत ही सुंदर नवगीत
    बधाई

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  32. बहुत सुंदर सृजन

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