Wednesday, January 29, 2020

विधाता छंद ◆गीत◆ ■◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆■


◆गीत◆  विधाता छंद
■◆संजय कौशिक 'विज्ञात'◆■   

छंद - विधाता वाचिक छंद आधारित गीत 
शिल्प: विधाता छंद मात्रिक छंद है इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती है और इस छंद में  1, 8, 15, 22 वीं मात्राएँ सदैव लघु 1 होनी अनिवार्य होती है। चार चरण तुकांत समतुकांत रहते हैं इसे मापनी और गण आधार पर इसे सरलता से समझा जा सकता है 
1222 1222 1222 1222 
यगण रगण तगण मगण यगण + गुरु 

हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 
लिखें जिस मौन को ताकत वही अनुपम बनाते हैं 

दिखाई दृश्य पर कहदें निखर के बिम्ब बोलेंगे
सृजन की हर विधा के ये अलग ही भेद खोलेंगे 
मगर नवगीत की सुनलो बिना ये बिम्ब डोलेंगे
अलंकारित छटा बिखरे बनाकर गूंज तोलेंगे

मगर प्रेरित करेंगे ये सदा सोते जगाते हैं 
हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 

प्रकृति की गोद में रख सिर यहाँ से सीख जाते हैं
सभी ऋतुएं दमक उठती मयूरा उर नचाते हैं 
कभी तो सिंधु सा स्वर ले लहर के साथ गाते हैं
उतर के भूमि पर तारे बड़े ही खिलखिलाते हैं 

महकती है तिमिर में जो चमक जुगनू दिखाते हैं 
हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं 

संजय कौशिक 'विज्ञात'

3 comments:

  1. हमारे गीत जीवन में हमें कहना सिखाते हैं ।
    लिखें जिस मौन को ताकत वही अनुपम बनाते हैं ।।
    वाह बहुत खूब बेहतरीन सृजन
    बहुत ही सुन्दर जानकारी

    ReplyDelete
  2. अती सुन्दर छंद

    ReplyDelete
  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (21-01-2020) को   "आहत है परिवेश"   (चर्चा अंक - 3587)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    ReplyDelete