गीत
हिन्दी को सम्मान मिला
संजय कौशिक 'विज्ञात'
देवनागरी की स्तुति करके
हिन्दी को वरदान मिला
संस्कृत का कुल उत्तम वर्णित
हिन्दी को सम्मान मिला।।
स्वर व्यंजन का मेल मिला तब
शब्दों ने ली अँगड़ाई
बना व्याकरण मात्रा खिलती
भावों की यह चतुराई
मुकुट चंद्र बिंदी का धरके
वर्णों को अभिमान मिला।।
करे हलन्त वर्ण को आधा
शब्दों में उत्साह भरे
कर पग वंदन बैठ साथ में
कुछ के सिर पर राज करे
व्यर्थ नहीं है आधा भी कुछ
उसको गौरव गान मिला।।
अनुस्वार का मार्ग नासिका
लघु भी गुरु हो जाते हैं
यही श्वास मुख मण्डल विचरे
पृथक वर्ग कहलाते हैं
तीन मिलेंगे अंत खड़े जो
उनको कुछ व्यवधान मिला।।
गुण विसर्ग का अनुस्वार सा
लघु गुरु हों नित संगत से
नहीं किसी को छोटा समझो
ज्ञान वर्ण दे इस रंगत से
वैज्ञानिक भी शोध करें अब
उत्तम ये विज्ञान मिला।।
कण्ठ तालु मूर्द्धा उच्चारण
दन्त ओष्ठ का बोल कहा
कण्ठतालु कण्ठोष्ठय फिर यूँ
दन्तोष्ठ्य भी खोल कहा
मुख मण्डल से वर्ण निकलते
योग्य इन्हें ये स्थान मिला।।
©संजय कौशिक 'विज्ञात'